छत्तीसगढ़ी संस्कृति के खुशबू ल बगराने वाला एक कलाकार- मकसूदन

सुआ नृत्य अउ गीत नारी मन के पीरा ल कम करथे। सुर अउ ताल म बंधे सुआ के चारो डाहर गोल घूमत नारी ऐखर पहिचान आय। ये दल म 180 झन नारी नृत्य करहीं त कइसे लगही ये सोचे के बात आय। ये सोच ल पूरा करे हावय मकसूदन राम साहू। राजीव लोचन महोत्सव म ये अनोखा आयोजन होथे।
राजधानी रइपुर तीर के एक ठिन गांव चिपरीडीह म जनमे एक झन पातर दूबर ऊंच अकन मनखे जेन ला मकसूदन राम साहू के नांव ले लोगन जानथे, पहिचानथें। उनला ‘बरी वाला’ गुरूजी के नांव ले सदा जाने जाथें। उंखर दाई के नांव फिरंतीन बाई अउ ददा के नाव महादेव साहू हे। ये हा अभी छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक नगरी नवापारा के कन्या इसकूल में गुरूजी के रूप में लइका मन ल पढ़ावत हावयं। आकासवानी रइपुर ले इंखर मन के कविता पाठ के प्रसारन होवत रहिथे। संगे-संग इंखर लिखे छत्तीसगढ़ी वार्ता घलोक बेरा-बेरा म प्रसारित होतेच रहिथे। जेन ल रेडियो सुनइया श्रोता संगी मन अब्बडे पसंद करथे। पेपर म घलो इंखर कविता छपते रहिथे। कवि सम्मेलन म गुरूजी के रचना ह धूम मचा देथे। हांसी बियंग म डूबे ऊंखर रचना श्रोता संगी मन ल सोचे-बिचारे बर मजबूर कर देथे। दूरदरसन के सुवास्थ्य पत्रिका कल्याणी कार्यक्रम बर बड़ सुग्घर गीत रचना करे हें, जेकर प्रसारन दूरदरसन म बेरा-बेरा म होवत रहिथे। तेमा इसकूल के 80 लड़की मन इंकर छत्तीसगढ़ी संस्कृति के महक बिखेरने वाला सुवा गीत के अपन प्रस्तुति दे हांवय। बाजा -गाजा सहित गीत मन बड़ सुग्घर बन पड़े हे। मकसूदन गुरूजी बहुमुखी प्रतिभा के धनी हावंय। लोककला के एक अच्छा जानकार मनखे हंवय। इंखर तीर म 180 लड़की मनके सुवा नृत्य दल हे। जेन ह छत्तीसगढ़ म सबले बड़े सुवा नृत्य दल के रूप म जाने जाथे। राजीव लोचन महोत्सव जेन ह हमर छत्तीसगढ़ सरकार के बड़-बड़का आयोजन आय संस्कृति विभाग के ये आयोजन म कला साहित्य अउ संस्कृति को संगम होथे एमा मकसूदन गुरूजी के सुवा नृत्य दल ह बढ़-चढ़ के भाग लेथे अउ अपन बेहतरीन प्रस्तुति देथे। इंखर एक ठिन खासियत ये हावय कि एकर सुवा गीत म राष्ट्रीयता के भावना ह छिपे रहिथे। नवा प्रयोग करे म गुरूजी ह माहिर हे। गुरूजी के बड़-बढ़िया संगरह छप चुके हे। जेन ह छत्तीसगढ़ी भाखा म लिखेगे हे। जइसे ‘बापू के पैडगरी’, ‘कबीर के कुबरी’ अउ ‘मोंगरा के फूल’। मकसूदनराम साहू के निर्देशन म दूरदरसन ले डंडा नृत्य, जोकड़ नृत्य, करमा नृत्य, नजरिया नृत्य के प्रसारन हो चुके हे। पाछू बच्छर इनला रायपाल पुरस्कार ले सम्मानित करे गेहे। इखर अलावा अब्बड़ अकन सम्मान अउ पुरस्कार मिले हावय जेकर कोनो गिनती नइए। साहित्य के क्षेत्र म लोककला के क्षेत्र म गुरूजी के अपन अलगे पहिचान हे। ओखर अपन विशेष मकान हे। इखर रचना म गांधी बबा अउ संत कबीर के प्रभाव जादा देखे ल मिलथे। एक ठन अउ जिनीस देखे ल मिलथे के गुरूजी ह भजन घलो लिखे के उदीम करे हे। इंखर सीडी कैसेट बनगे हावय। इंकर मन के साहित्य साधना, सेवा भावना लोक कला के आराधना ल देख के पुरस्कार मिलना जरूरी हे। मकसूदन गुरूजी के एक ठन इच्छा हावय के देस के राजधानी दिल्ली के लाल किला मैदान म आजादी के परब के बेरा म सुआगीत के परदरसन होना चाही जेमा हमर संस्कृति के खुशबू ह पूरा देश म बगरय।
तुकाराम कंसारी
सदरबाजार, नवापारा राजिम

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